RTI का जवाब नहीं देने पर निगम उपायुक्त पर गिरी गाज, वेतन से कटेगा जुर्माना
Reported by : मुस्कान तिवाड़ी
Edited By : गणेश शर्मा
मार्च 25, 2025 15 :09 IST
टेलीग्राफ टाइम्स
जयपुर– राजस्थान राज्य सूचना आयोग (RIC) ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत जानकारी नहीं देने पर नगर निगम ग्रेटर जयपुर के स्टेट पब्लिक इंफॉर्मेशन ऑफिसर (गौशाला) पर ₹2500 का जुर्माना लगाया है। सूचना आयुक्त सुरेश चंद गुप्ता ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि अधिकारी की यह लापरवाही सूचना के अधिकार अधिनियम (RTI Act) के प्रति उनकी उदासीनता को दर्शाती है।
डेढ़ साल बाद भी नहीं मिला जवाब
एडवोकेट बरजंग सिंह शेखावत ने नगर निगम ग्रेटर के ऑनलाइन पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें नियम विरुद्ध पालतू पशुओं को घर पर रखने के मामले की जांच की मांग की गई थी। इस मामले में हुई कार्रवाई की जानकारी के लिए उन्होंने 7 सितंबर 2023 को RTI आवेदन दाखिल किया।
हालांकि, निर्धारित समय सीमा बीतने के बावजूद कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद शेखावत ने प्रथम अपील दायर की, लेकिन निगम अधिकारियों ने इस पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
नोटिस के बावजूद नहीं मिला जवाब
सूचना न मिलने पर एडवोकेट शेखावत ने राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील दायर की। आयोग ने 7 जून 2024 को गौशाला उपायुक्त को आदेश दिया कि वह परिवादी को मांगी गई सूचना उपलब्ध कराएं। मगर निगम उपायुक्त ने आदेश का पालन नहीं किया।
बाद में आयोग ने उपायुक्त को नोटिस जारी कर 15 दिनों के भीतर स्पष्टीकरण देने और व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के निर्देश दिए। लेकिन अधिकारी न तो पेश हुए और न ही नोटिस का जवाब दिया।
वेतन से काटी जाएगी जुर्माना राशि
आयोग ने इस गैर-जिम्मेदाराना रवैये को देखते हुए उपायुक्त को दोषी ठहराते हुए ₹2500 का जुर्माना लगाया। यह राशि उनके वेतन से काटकर 30 दिनों के भीतर आयोग में जमा कराने का आदेश दिया गया। साथ ही, आदेश की प्रति नगर निगम ग्रेटर जयपुर के लेखा शाखा एवं आयुक्त को भेजी गई है।
RTI नियमों की अवहेलना पर सख्त हुआ आयोग
यह मामला उन नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण है, जो सरकारी अधिकारियों द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम की अवहेलना का सामना कर रहे हैं। आयोग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि RTI अधिनियम के तहत सूचना न देने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम सरकारी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाने और अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।