सुखद : “पंच गौरव” से धौलपुर को मिलेगी एक पहचान

 

Telegraph Times
प्रदीप कुमार

धौलपुर: चंबल के बीहड में कभी बागी, बजरी और बंदूक के लिए देश और दुनिया में कुख्यात धौलपुर जिले की पहचान अब बदल रही है। चंबल के बीहड में अब दस्युओं का सफाया हो गया है तथा डांग विकास सहित अन्य कार्यक्रमों से बीहड के विकास की नई कहानी लिखी जा रही है। बीते एक साल में मरुधरा कहे जाने वाले राजस्थान के साथ-साथ पूर्वी सिंह द्वार धौलपुर जिले के विकास को नए पंख लगे हैं। अब राज्य के विभिन्न ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय धरोहरों को संवारने और संरक्षित करने की दिशा में “पंच गौरव” कार्यक्रम की भी शुरुआत की गई। ऐसा माना जा रहा है कि धौलपुर जिले में भी “पंच गौरव” धौलपुर की दिशा और दशा बदल कर देश और दुनियां के मानचित्र पर धौलपुर को एक नई पहचान दिलाएंगे।

राज्य सरकार की नई कवायद में धौलपुर जिले में “पंच गौरव” कार्यक्रम के तहत एक जिला एक प्रजाति के तहत जिले में करंज वृक्ष का चयन किया गया है। वहीं, एक जिला एक उपज के तहत जिले में अमरूद के फल का चयन किया गया है। इसके साथ ही प्राचीन और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध तीर्थराज मचकुण्ड को एक जिला एक गंतव्य के रूप में चिन्हित किया गया है। इस कवायद में एक जिला एक खेल के तहत हॉकी का चयन किया गया है। वहीं, जिले की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले बलुआ पत्थर शिल्प यानि सैंड स्टोन कार्निंग को एक जिला एक उत्पाद के तहत पहचाना गया है। यह सभी चयन जिले की सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देने के साथ ही धौलपुर जिले को एक नई पहचान भी देंगे।

डीएम श्रीनिधि बी टी बताते हैं कि जिले में करंज वृक्ष का विशेष महत्व है। यह वृक्ष न केवल पर्यावरण के लिए अत्यंत उपयोगी है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन के खिलाफ एक प्राकृतिक कवच का काम करता है। करंज का वृक्ष शुष्क क्षेत्रों में आसानी से उग सकता है और यह मृदा को सुद्ध करने, जल संरक्षण, और वायु प्रदूषण को कम करने में मदद करता है। इसके फूलों, बीजों और तेल का औषधीय उपयोग भी है, यह वृक्ष जिले के पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। जिले की प्रमुख कृषि उपज में अमरूद शामिल है। जिले में उगाए जाने वाले अमरूद का स्वाद और गुणवत्ता काफी प्रसिद्ध है। अमरूद की खेती से किसानों को अच्छा आर्थिक लाभ प्राप्त होता है।

राजस्थान सहित समीपवर्ती मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में अपनी खास पहचान और धार्मिक महत्व रखने वाला मचकुंड तीर्थ अपनी प्राचीन और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थान विशेष रूप से पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र है। मचकुंड में स्थित प्राचीन जलाशय और आसपास के धार्मिक स्थल हर वर्ष सैकड़ों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। यहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य, ऐतिहासिक मंदिर और संस्कृति पर्यटकों को अनोखा अनुभव प्रदान करते हैं। मचकुंड को “एक जिला, एक गंतव्य” के तहत पर्यटन स्थल के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है।

पंच गौरव कार्यक्रम में एक जिला एक खेल कार्यक्रम के तहत जिले में हॉकी का चयन किया गया। इसके तहत जिले में हॉकी को बढ़ावा दिया जायेगा। हॉकी ऐतिहासिक रूप से देश में अहम स्थान रखता है। धौलपुर जिले में सेंड स्टोन यानि बलुआ पत्थर की खुदाई और कार्निंग एक प्रमुख पारंपरिक उद्योग है। यह पत्थर शिल्पकारी का कार्य प्राचीन काल से यहाँ की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। जिले के शिल्पकार इस सैंड स्टोन का उपयोग विभिन्न वास्तुकला कार्यों, मूर्तियों, और सजावटी वस्तुओं के निर्माण में करते हैं

धौलपुर की सैंड स्टोन कार्निंग न केवल देश के विभिन्न हिस्सों में प्रसिद्ध है। देश की राजधानी दिल्ली में बनी कई ऐतिहासिक इमारतों में भी धौलपुर के सेंड स्टोन का उपयोग किया गया है। इसमें देश की पुरानी संसद तथा राष्ट्रपति भवन जैसी इमारतें शामिल हैं। धौलपुर जिले का “पंच गौरव” कार्यक्रम उसकी सांस्कृतिक और पर्यावरणीय धरोहर को संरक्षित करने और उसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने का एक बड़ा कदम है और जिले की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को उजागर करते हैं।

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