सवाई माधोपुर में ऐतिहासिक दंगल: पहाड़ी बनी ‘प्राकृतिक स्टेडियम’, दर्शकों में दिखा गजब का जुनून
Reported by : सत्यनारायण
Edited By : नरेश गुनानी
मार्च 26, 2025 10 :35 IST
टेलीग्राफ टाइम्स
राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले से 64 किमी दूर खंडार उपखंड के बालेर कस्बे में आयोजित अष्टभुजा देवी माता मेले में इस बार कुश्ती का शानदार आयोजन हुआ। देशभर से नामी पहलवानों ने अखाड़े में अपना दमखम दिखाया, तो वहीं दर्शकों का जोश भी देखते ही बन रहा था। रोमांचक मुकाबलों को देखने के लिए हजारों की भीड़ उमड़ी और पहाड़ी पर जमा होकर स्टेडियम जैसा माहौल बना दिया।
दंगल में दिखी जबरदस्त भीड़, गर्मी भी न रोक पाई जोश
गर्म मौसम और तेज धूप के बावजूद हजारों की संख्या में कुश्ती प्रेमी इस प्रतियोगिता का आनंद लेने पहुंचे। स्थानीय लोगों का कुश्ती के प्रति जुनून इतना अधिक था कि वे घंटों तक पहाड़ी पर खड़े रहकर मुकाबलों का लुत्फ उठाते रहे। दर्शकों की हूटिंग और जयकारों ने पहलवानों के जोश को और भी बढ़ा दिया।
महिला पहलवानों का रहा खास आकर्षण
इस प्रतियोगिता में चार महिला पहलवानों ने भी हिस्सा लिया, जिन्होंने अपनी शानदार कुश्ती कला से सभी को प्रभावित किया।
- दिल्ली की अवनीत कौर ने अलवर की मुकुल को मात देकर मुकाबला जीता।
- हरियाणा की तमन्ना और दिल्ली की हीना बेनीवाल के बीच रोमांचक मुकाबला हुआ, जिसमें तमन्ना ने बाज़ी मारी।
‘दंगल केसरी’ का खिताब मानसिंह श्यामोली के नाम
प्रतियोगिता का सबसे बड़ा आकर्षण पहलवान मानसिंह श्यामोली और भरतपुर के श्याम के बीच हुआ महामुकाबला था। कड़ी टक्कर के बाद मानसिंह श्यामोली ने बाजी मारते हुए ‘दंगल केसरी’ का खिताब अपने नाम किया।
72 पहलवानों ने लिया भाग, कुल 36 कुश्तियां हुईं
कुश्ती प्रतियोगिता में 72 नामी पहलवानों ने हिस्सा लिया, जिनमें कई जबरदस्त मुकाबले देखने को मिले—
- अलवर के काडा पहलवान और रोहतक के देवा पहलवान के बीच मुकाबले में देवा ने जीत दर्ज की।
- हरियाणा के संजय पहलवान ने अलवर के अजय पहलवान को हराकर तीसरा स्थान प्राप्त किया।
विजेताओं को नकद पुरस्कार और सम्मान
ग्राम पंचायत के तत्वावधान में विजेताओं को सम्मानित किया गया।
- प्रथम विजेता को ₹5100,
- द्वितीय को ₹3100,
- तृतीय को ₹2100 और
- अन्य पहलवानों को ₹500 से ₹1100 तक के नकद पुरस्कार दिए गए।
सवाई माधोपुर के इस ऐतिहासिक दंगल ने कुश्ती प्रेमियों को बेहतरीन मुकाबलों का आनंद दिया। स्थानीय लोगों का जुनून, महिला पहलवानों की भागीदारी और रोमांचक फाइट्स ने इस आयोजन को यादगार बना दिया। पहाड़ी पर उमड़ी भारी भीड़ ने इसे एक ‘प्राकृतिक स्टेडियम’ का रूप दे दिया, जिसने भारतीय दंगल संस्कृति की जीवंतता को फिर से साबित कर दिया।