सरस घी को मिला राज्य के मंदिरों का विश्वास, जनवरी में रिकॉर्ड बिक्री

सुनील शर्मा
टेलीग्राफ टाइम्स
4 फरवरी
जयपुर: जयपुर के आराध्य गोविन्द देव जी हों या चित्तौड़गढ़ के सांवलिया सेठ, या फिर बीकानेर का करणी माता देशनोक मंदिर, राज्य के सभी प्रमुख मन्दिरों से अब आरसीडीएफ के प्रतिष्ठित सरस ब्रांड के धथी की डिमांड में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। राजस्थान को-ऑपरटिव डेयरी फैडरेशन से सम्बद्ध जिला दुग्ध संघों द्वारा मंदिरों को उनकी मांग के अनुरूप वितरक दर पर शुद्ध और ताजा सरस घी उपलब्ध कराया जा रहा है ताकि भक्तजनों को पूजा अर्चना और भोग प्रसाद वितरण के लिए उच्च गुणवत्तायुक्त धी उपलब्ध हो सके।

राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन की प्रशासक और प्रबन्ध संचालक श्रुति भारद्वाज ने बताया कि राज्य की समृद्ध धार्मिक परंपराओं में उच्च गुणवत्ता वाले घी का विशेष महत्व है। आरसीडीएफ द्वारा पिछले काफी समय से ये प्रयास किये जा रहे थे कि वोकल फॉर लोकल की तर्ज पर राज्य के मंदिरों में पूजा अर्चना और प्रसाद के लिये राज्य की सहकारी डेयरियों द्वारा उत्पादित उच्च गुणवत्तायुक्त सरस धी के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएं। आरसीडीएफ की केन्द्रीय गुण नियन्त्रण प्रयोगशाला सहित राज्यभर की सभी सहकारी डेयरियों द्वारा यह प्रयास किये गये कि गुणवत्ता से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाए और मंदिरों में उच्च गुणवत्तायुक्त धी की सप्लाई की जाए। उन्होंने बताया कि आरसीडीएफ की इस पहल के सकारात्मक परिणाम आने लगे हैं। आरसीडीएफ के लिए यह गौरव का विषय है कि प्रतिष्ठित धार्मिक संस्थान सरस धी को प्राथमिकता दे रहे हैं। धार्मिक स्थलों से बढ़ती

मांग इस बात की पुष्टि करती है कि सरस धी अपने विशिष्ट स्वाद, सुगंध और शुद्धता लिए न केवल घरों में बल्कि धार्मिक संस्थानों में भी विश्वसनीय बन गया है।

उन्होंने बताया कि आरसीडीएफ के सरस ब्रांड के घी के पैक्स पर क्यूआर कोड से आम उपभोक्ताओं में विश्वास बढ़ा है और अब वे स्वयं सरस घी के पैक की सभी डिटेल्स जांच सकते हैं। राज्य में सरस घधी की बिक्री में पिछले वर्ष की तुलना में 21 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। पिछले वर्ष अप्रैल से जनवरी के दौरान 18723 टन धी की बिक्री हुई थी जबकि चालू वित्तीय वर्ष में यह बिक्री 22599 टन तक पहुंच गई है। इसी प्रकार जनवरी 2025 में राज्यभर में 3843 टन की बिक्री हुई है जो कि किसी माह में अब तक का सर्वाधिक रिकार्ड है। उन्होंने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में आरसीडीएफ एवं सम्बद्ध जिला दुग्ध संघों द्वारा पिछले वर्ष की तुलना में 40 प्रतिशत अधिक वित्तीय लाभ हासिल किया है।

राज्य के जयपुर में गोविन्द देवजी, मोतीडूंगरी गणेश जी, खोले के हनुमानजी, बन्थे के बालाजी,

काले हनुमान जी, जोधपुरिया देवजी, चित्तौड़गढ़ के सावलिया सेठ, राजसमंद के श्रीवथ, करौली में मदन मोहनजी, टोंक में डिग्गी कल्याणजी,

बीकानेर में करणी माता जी, मुक्तिधाम-मुकाम, पाली में सोनाणा खेतलाजी, आशापुरा माताजी, कोटा में सूर्य मंदिर, झालावाड़ में कामखेड़ा बालाजी मंदिर में सरस घी की आपूर्ति हो रही है।

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