सनातनी को अपने धर्म का ज्ञान होना आवश्यक – पुण्डरीक महाराज

राजस्थान/ धर्म विशेष 


सनातनी को अपने धर्म का ज्ञान होना आवश्यक – पुण्डरीक महाराज

कलयुग में अवतार नहीं, वैदिक संस्कारों की है आवश्यकता |
श्रीमद् ब्रह्मा भागवत संगीतमय ज्ञान सप्ताह यज्ञ के पंचम दिवस पर भक्ति रस में डूबे श्रोता

Edited By : नरेश गुनानी
अप्रैल 07, 2025
टेलीग्राफ टाइम्स

(हरिप्रसाद शर्मा, पुष्कर/अजमेर)।
धार्मिक नगरी पुष्कर स्थित प्रेम प्रकाश आश्रम में चल रहे श्रीमद् ब्रह्मा भागवत संगीतमय ज्ञान सप्ताह यज्ञ के पंचम दिवस पर सोमवार को व्यासपीठ से कथावाचक श्रीमन्माध्वगौडेश्वर वैष्णवाचार्य पुण्डरीक गोस्वामी महाराज ने श्रोताओं को भक्ति, धर्म और सनातन मूल्यों का गूढ़ ज्ञान कराया।

कथा की शुरुआत “पुष्करराज की जय” के जयघोष के साथ हुई। गोस्वामी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म के अनुयायी को अपने धर्म का वास्तविक ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है। धर्म केवल परंपरा नहीं, बल्कि आचार, संस्कार और आंतरिक चेतना का विषय है।

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श्रीमद्भागवत – भगवान का ग्रंथावतार

गोस्वामी ने कहा कि श्रीमद्भागवत स्वयं भगवान का ग्रंथावतार है और कलयुग में जीवों के उद्धार का माध्यम भी यही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जो भी वेद के सिद्धांतों का खंडन करता है, वह वैदिक संप्रदाय का अंग नहीं हो सकता। भगवान के पार्षद ही विभिन्न संप्रदायों के रूप में प्रकट होकर धर्म की रक्षा करते हैं।

कलयुग की दिशा – वैदिक संस्कारों की पुनः स्थापना

पुण्डरीक गोस्वामी महाराज ने विशेष रूप से इस बात पर बल दिया कि कलयुग में अवतारों की नहीं, बल्कि उचित वैदिक संस्कारों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि धर्म की रक्षा और समाज में सदाचार की पुनः स्थापना केवल वैदिक मूल्यों और अनुशासित जीवन से ही संभव है।

‘अन्न ब्रह्म’ का संदेश – हर दान में हो समर्पण की भावना

अपने प्रवचन में उन्होंने एक भावनात्मक दृष्टांत प्रस्तुत करते हुए कहा, “यदि किसी के घर से थाली में अन्न आता है, तो खाली लौटाना अनुचित है; उसमें प्रेम और पुनः अन्न भेजना चाहिए क्योंकि अन्न ब्रह्म है।” यह संदेश केवल भौतिक दान की बात नहीं करता, बल्कि समर्पण, विनम्रता और कृतज्ञता के जीवनमूल्य को उजागर करता है।

भक्ति रस से सराबोर हुआ नन्दोत्सव

कथा के दौरान नन्दोत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें छप्पन भोग की भव्य झांकी सजाई गई। भक्ति भाव से ओतप्रोत वातावरण में बधाइयाँ लुटाई गईं। आयोजक परिवार पं. सुरेश शर्मा, नरेंद्र शर्मा व वेंकटेश शर्मा ने अपनी सहभागिता से आयोजन को सजीव बनाया। कथावाचन के साथ साथ लाइव प्रसारण यूट्यूब के माध्यम से देश-विदेश में भी देखा गया, जिससे हजारों श्रद्धालु लाभान्वित हुए।

विशिष्ट आगमन और गुरू दीक्षा की घोषणा

कथा में जोधपुर से पधारे रामस्नेही संप्रदाय के संत मुरलीधर महाराज की भी गरिमामयी उपस्थिति रही। वहीं, मंगलवार सुबह 9 बजे गोस्वामी महाराज द्वारा गुरू दीक्षा कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसमें श्रद्धालु गुरु के चरणों में दीक्षित हो सकेंगे।


पुष्कर की यह कथा श्रृंखला केवल धार्मिक आयोजन न होकर एक वैदिक चेतना का पुनर्जागरण है। गोस्वामी पुण्डरीक महाराज के प्रवचन जहां धर्म के तत्वज्ञान को स्पष्ट करते हैं, वहीं वर्तमान समाज को संस्कारों और आत्मबोध की ओर अग्रसर भी करते हैं।


 

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