लेख

भारत, रूस और अमेरिका के बदलते समीकरण 

गौरव कोचर 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पेरिस और वॉशिंगटन दौरों के बाद भारत के ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक विकास में नए बदलाव देखने को मिल रहे हैं। इन दौरों ने वैश्विक स्तर पर भारत की ऊर्जा जरूरतों, व्यापारिक रणनीतियों और भू-राजनीतिक संतुलन को प्रभावित किया है।

ऊर्जा सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय संबंध

भारत की आर्थिक वृद्धि के साथ उसकी ऊर्जा आवश्यकताएं तेजी से बढ़ रही हैं। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के अनुसार, भारत की कच्चे तेल की मांग 2030 तक 16.640 करोड़ बैरल प्रतिदिन तक पहुंच सकती है, जो मौजूदा 15.380 करोड़ बैरल से अधिक है। यह वृद्धि भारत को वैश्विक तेल और गैस बाजार में एक प्रमुख उपभोक्ता बनाती है।

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रूस और भारत: तेल व्यापार में मजबूती

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदने का विकल्प अपनाया, जिससे उसकी ऊर्जा लागत में कमी आई। रूस भारत को 15-20 डॉलर प्रति बैरल की दर से तेल उपलब्ध करवा रहा है, जो अन्य आपूर्तिकर्ताओं की तुलना में सस्ता है। हालांकि, अमेरिका के साथ बढ़ती ऊर्जा साझेदारी रूस के साथ भारत के संबंधों को प्रभावित कर सकती है।

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अमेरिका और भारत: व्यापारिक समझौते और तेल आपूर्ति

प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई वार्ता में भारत ने अमेरिका से कच्चे तेल और गैस के आयात पर सहमति जताई। अमेरिका वैश्विक तेल उत्पादन में 20.1% हिस्सेदारी रखता है और “ड्रिल बेबी ड्रिल” नीति के तहत अपने उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दे रहा है। भारत के साथ बढ़ते व्यापारिक संबंधों से अमेरिका को एक नए और स्थिर उपभोक्ता की प्राप्ति होगी, जबकि भारत अपने ऊर्जा स्रोतों को विविधता प्रदान कर सकेगा

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रिन्यूएबल एनर्जी और तकनीकी सहयोग

भारत ने फ्रांस के साथ छोटे आणविक संयंत्रों की आपूर्ति पर एक महत्वपूर्ण समझौता किया है, जो कार्बन रहित ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देगा। यह न केवल भारत की जलवायु परिवर्तन नीतियों को मजबूत करेगा, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और सेमीकंडक्टर उद्योगों को भी ऊर्जा आपूर्ति में मदद करेगा।

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विद्युत वाहन और हाइड्रोजन ईंधन: भारत का भविष्य

भारत, जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता को कम करने और इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी और टेस्ला के सीईओ एलन मस्क के बीच हुई वार्ता में भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण और निवेश को लेकर चर्चा हुई। सरकार ने मस्क को सिंगल-विंडो क्लीयरेंस और अन्य सुविधाएं देने का आश्वासन दिया है।

2023 में भारत में 15.3 लाख इलेक्ट्रिक वाहन थे, जो 2024 में बढ़कर 19.5 लाख हो गए। यह मात्र 7.44% की वृद्धि है, जो भारत के महत्वाकांक्षी कार्बन-रहित परिवहन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त हो सकती है। इसलिए, भारत बायो-फ्यूल और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है।

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भू-राजनीतिक प्रभाव और आगे की राह

भारत ने रूस, अमेरिका और फ्रांस के साथ ऊर्जा संबंध मजबूत करके अपनी स्थिति को सुदृढ़ किया है, लेकिन इस रणनीति के भू-राजनीतिक प्रभाव भी हो सकते हैं।

  • रूस के साथ संबंध: भारत द्वारा अमेरिका से तेल आयात में वृद्धि करने से रूस-भारत संबंधों में तनाव आ सकता है।
  • अमेरिका के साथ रणनीतिक भागीदारी: अमेरिका के साथ बढ़ता ऊर्जा व्यापार भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूती देगा, लेकिन इसे चीन और रूस कैसे देखते हैं, यह महत्वपूर्ण रहेगा।
  • खाड़ी देशों का प्रभाव: भारत अभी भी सऊदी अरब, इराक और यूएई से बड़े पैमाने पर तेल आयात करता है, और इन देशों के साथ संतुलन बनाए रखना आवश्यक होगा।

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