रोबोट हमारे परिवार का हिस्सा बन सकते हैं?

 

डॉ. आर. बी. चौधरी

विज्ञान की निरंतर प्रगति और अकल्पनीय अनुसंधान से समूचा विश्व तेजी से बदल रहा है। आबादी की चुनौतियों के बीच घटती प्रजनन दर और घटती जन्म दर जैसी समस्याएं आधुनिक विज्ञान से टक्कर लेने के लिए तैयार हैं। ऐसी हालत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) को एक संभावित समाधान के रूप में देखा जा रहा है। अब सवाल खड़ा होने लगा है कि क्या रोबोट सचमुच हमारे परिवार का हिस्सा बन सकता है? स्वीडन के उमेओ विश्वविद्यालय के शोधकर्ता एआई और किन्शिप नामक परियोजना के माध्यम से इस प्रश्न का समाधान ढूंढ़ने में लगे हैं हैं।

अमेरिका से प्रकाशित होने वाली साइंस दिल्ली नामक पत्रिका में प्रकाशित पेपर में डॉ. बेरिट ऑस्ट्रोम ने लिखा है कि यह परियोजना इस बात की जांच करने में लगी है कि काल्पनिक कथाओं जैसे विज्ञान कथा कहानियों और फिल्मों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अर्थात एआई को किस प्रकार बताया और समझाया गया है, ताकि यह समझा जा सके कि हम एआई को क्या अपने जीवन या परिवार के हिस्से के रूप में ऐसी दुनिया की कल्पना कर सकते हैं, जहां रोबोट परिवार का हिस्सा बन सके। डॉ. बेरिट ऑस्ट्रोम ने यह भी लिखा है कि यह परियोजना सिर्फ रोबोट और एआई के बारे में नहीं कार्य कर रही है, बल्कि परिवार और रिश्तों को कैसे बेहतर ढंग से सजाया, संवारा और चलाया जा सकता है, उसपर भी काम कर रही है।

डॉ. ऑस्ट्रोम ने आगे लिखा है कि इसमें कोई दो राय नहीं है जब हमारे घनिष्ठ रिश्ते हमारे समाज का आधार बनते हैं जिसमें देखभाल की जिम्मेदारियों से लेकर जीवन में होने वाली तमाम परिवर्तनकारी निर्णयों तक हर चीज को नियंत्रित करना पड़‌ता है। उन्होंने आगे लिखा है कि जैसे-जैसे एआई हमारे दैनिक जीवन में जिसमें स्वास्थ्य सेवा और सामाजिक देखभाल में आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे हम अधिक से अधिक इस पर भरोसा भी कर रहे हैं। यहां तक कि मानव और गैर-मानव (रोबोट) के बीच की सीमाएं तेजी से घटती जा रही हैं। ऐसी स्थिति में जहां यह विज्ञान तेजी से आगे बढ़ रहा है, वहीं पर हमारे परिवार से लेकर हमारी कम्युनिटी के बीच जगह बनाती हुई एआई की संभावित भूमिका के बारे में महत्वपूर्ण प्रश्न उठने लगे हैं।

एआई और नाते-रिश्ते तक पहुंचने की संभावनाओं पर आधारित इस परियोजना की आधारशिला काल्पनिक कथाओं पर गहन शोध कार्य जारी है। अनुसंधानकर्ताओं ने इस विषय में विशेष चिंता की है कि अगर रोबोट घर का सदस्य बन गया तो क्या हमारे विशेष रुचि का ध्यान रख पाएगा और क्या पारिवारिक संबंधों में एआई की क्षमता विद्यमान है। ऐसी दशा में इसमें दो राय नहीं कि जैसे-जैसे जनसंख्या वृद्धि हो रही है, देखभाल करने वालों से लेकर हर परिवार में सभी के सहयोग-सहायता देने वाली सुविधाओं की आवश्यकता बढ़ती जाती है। इस मामले में एआई-संचालित रोबोट और वर्चुअल असिस्टेंट संभवतः इस अंतर को भर सकते हैं तथा मैत्रीपूर्ण व्यवहार, भावनात्मक अनुभव और व्यावहारिक देखभाल प्रदान कर सकते हैं। हालांकि, इससे परिवार और रिश्तेदारी की प्रकृति के बारे में महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए जा रहे हैं। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या रोबोट सचमुच हमारे परिवार का हिस्सा हो सकता है या यह हमारे रिश्तों को सहारा देने वाला एक उपकरण मात्र बंद कर रह जाएगा?

जैसे-जैसे एआई हमारे दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण हिस्सा होता जा रहा है। ऐसी स्थिति में यह विचार करना आवश्यक है कि हम इन प्रौद्योगिकियों से कैसे और क्यों जुड़ना चाहते हैं। क्या रोबोट रूपी मां या रोबोट रूपी भाई-बहन या बच्चा हो तैयार किया जा सकता है? क्या, इस तरह की दुनिया जल्दी ही आने वाली है? एआई या रोबोट के द्वारा तैयार पारिवारिक रिस्ते परियोजना हमें इन सवालों का पता लगाने और एक ऐसे दुनिया की कल्पना साकार हो सकती है, जहां एआई हमारे परिवारों का हिस्सा बन सकता है।

कुल मिलकर, इस परियोजना का लक्ष्य यह है कि वैज्ञानिक इस प्रकार के अनुसंधान कार्यों को अभी बढ़ाने से पहले इसके परिणाम पर गंभीरता से सोच विचार कर लें कि हम अपने समाज

में एआई या रोबोट परिवार चाहते हैं या नहीं। वैज्ञानिकों ने माना है कि शुरुआती तौर पर काल्पनिक कथाओं को आधार मानकर एआई की कल्पना की जाती है। फिर इस पर अनुसंधान

किया जाता है। वैज्ञानिकों के सामने यह छोटी चुनौती नहीं है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमारी रहन-सहन, संस्कृति तथा सभ्यता को ठीक प्रकार से समझे और उसी अनुसार विकल्पों का उत्तर ढूंढे तथा प्रयोग में लाए। जैसा कि अपने रिसर्च पेपर में डॉ. ऑस्ट्रोम ने लिखा है, “एआई के विश्लेषण परक क्षमता से हमें यह समझने में मदद मिल सकती है कि हम रिश्तों को सजा संवार कर पूरे परिवार की देखभाल की जिम्मेदारी को रोबोट के मस्तिष्क में भर सकते हैं और इस आधार पर हम भविष्य में एआई द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले संभावित विकल्पों की कल्पना कर सकते हैं।” (लेखक, हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)

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