राजस्थान सिविल सेवा अपील अधिकरण ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक के आदेश को किया रद्द

लोकेंद्रसिंह
टेलीग्राफ टाइम्स
1 फरवरी
जोधपुर:राजस्थान सिविल सेवा अपील अधिकरण जोधपुर ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक जयपुर के एक आदेश को विधि विरूद्ध मानते हुए सभी कर्मचारियों को स्थगन आदेश पश्चात् उन्हें पुनः उसी पद पर कार्य करने का आदेश जारी किया जहां वे स्थानान्तरण से पूर्व कार्यरत थे।

गिरिश कुमार लबाना, रायचंद राम व सुरेन्द्रसिंह शेखावत तीनों रेंजर ग्रेड द्वितीय व प्रथम पर क्रमश जालोर, उदयपुर व बासवाड़ा में कार्यरत है। इनका स्थानान्तरण 15 जनवरी 2025 के प्रधान मुख्य वन संरक्षक जयपुर के आदेश से हुआ। इन तीनों ने अपने स्थानान्तरण आदेश को अपने अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा के माध्यम से अधिकरण के समक्ष चुनौती दी। अधिकरण ने वन विभाग को नोटिस जारी करते हुए 21 जनवरी को इन तीनों के पक्ष में स्थगन आदेश जारी किया गया। स्थगन आदेश की अनुपालना में जब इन्होंने विभाग के समक्ष अपना कार्यग्रहण प्रस्तुत किया तो जिला वन अधिकारी द्वारा इन्हें कार्यग्रहण नहीं करवाते हुए उन्हें प्रधान मुख्य वन संरक्षक के आदेश का हवाला देते हुए उन्हें जयपुर मुख्यालय पर अपनी उपस्थिति देने का आदेश प्रदान किया। इस आदेश में प्रधान मुख्य संरक्षक जयपुर ने शर्त संख्या 3 में यह अंकित किया कि किसी भी अधिकरण या उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश प्राप्त कर्मचारी स्थगन आदेश पश्चात् सीधा अपने पूर्ण स्थान पर जहां वह स्थानान्तरण से पूर्व कार्यरत था वहां कार्यग्रहण नहीं करेगा बल्कि वह पहले जयपुर मुख्यालय पर अपनी उपस्थिति देगा व जयपुर से निर्देश प्राप्त होने पर अपने स्थान पर कार्यग्रहण करेगा।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक के इस आदेश को गिरिश कुमार लबाना, रायचंद राम व सुरेन्द्रसिंह शेखावत ने पुनः अधिकरण के समक्ष अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा ने माध्यम से यह निवेदन करते हुए चुनौती दी कि जब अधिकरण ने स्थगन आदेश प्रदान करते समय अपने स्थगन आदेश में स्पष्ट रूप से अंकित किया कि अपीलार्थी वहीं कार्य करेगा जहां वह स्थानान्तरण आदेश से पूर्व कार्यरत था। अतः प्रधान मुख्य वन संरक्षक का आदेश अवमानना व जिला वन अधिकारी द्वारा स्थगन आदेश के पश्चात् जयपुर मुख्यालय पर जाकर कार्यग्रहण करने का निर्देश देना मनमाना व विधि विरूद्ध व तुगलकी फरमान है। अधिकरण ने सुनवाई के बाद प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन बल) जयपुर के आदेश के तहत जिला वन अधिकारी द्वारा उन्हें जयपुर जाकर उपस्थिति देने को अधिकरण के आदेश के विपरित माना व विधि विरूद्ध व नैसर्गिक न्याय विरूद्ध मानते हुए कर्मचारियों को स्थानांतरण आदेश से पूर्व जहां कार्यरत थे सीधे वहां ही जाकर कार्य ग्रहण करने का आदेश प्रदान करते हुए तीनों कर्मचारियों द्वारा प्रस्तुत अपील को स्वीकार किया।

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