राजस्थान में सरपंचों का बढ़ेगा मानदेय? मुख्यमंत्री के सामने रखी गईं अहम मांगें

नरेश गुनानी
टेलीग्राफ टाइम्स
4 फरवरी
जयपुर: राजस्थान में पंचायती राज सशक्तिकरण और अभिनंदन समारोह में राज्यभर से आए सरपंचों ने अपनी समस्याओं और मांगों को मुख्यमंत्री के सामने रखा। इस मौके पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सरपंचों को पंचायती राज का अहम स्तंभ बताते हुए कहा कि यदि सरपंच जागरूक होंगे तो गांवों का विकास सुनिश्चित किया जा सकता है।

सरपंच संघ की प्रमुख मांगें

सरपंच संघ ने मुख्यमंत्री के सामने कई प्रमुख मुद्दे उठाए, जिनमें शामिल हैं:

टेंडर माफियाओं पर रोक: ग्राम पंचायतों में टेंडर माफियाओं का जाल फैला हुआ है, जिसे समाप्त किया जाए।

BSR दर पर खरीद: निर्माण कार्यों के लिए BSR दर पर ही खरीद सुनिश्चित की जाए।

वित्तीय सीमा बढ़ाई जाए: एक वित्तीय वर्ष में खरीद की सीमा 60 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये की जाए।

सड़क और जल आपूर्ति: पंचायत क्षेत्रों में खराब सड़कों और पेयजल की समस्या के समाधान के लिए PWD विभाग को जिम्मेदारी दी जाए।

मानदेय में बढ़ोतरी: सरपंचों को सम्मानजनक मानदेय दिया जाए, जो वर्तमान में मजदूरी से भी कम है।

पेंशन और टोल टैक्स में छूट: सरपंचों के लिए पेंशन की व्यवस्था हो और उन्हें टोल टैक्स से मुक्त किया जाए।

सीएम भजनलाल शर्मा का आश्वासन

मुख्यमंत्री ने सरपंचों की बातों को ध्यानपूर्वक सुनते हुए कहा कि राज्य सरकार पंचायती राज को और मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “हमने 1 अप्रैल 2024 से मानदेय बढ़ाया है और आगे भी सरपंचों के हित में आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।”

उन्होंने अपनी प्राथमिकताओं को स्पष्ट करते हुए बताया:

371 ग्राम पंचायत भवनों का निर्माण पूरा हुआ।

530 किलोमीटर लंबी 309 सड़क परियोजनाएं पूरी की गईं।

सड़क निर्माण के लिए 1,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।

सभी जरूरतमंद परिवारों को आवास देने की योजना – 4.98 लाख घर बनाए जा रहे हैं।

अटल ज्ञान केंद्र खोले जाएंगे, जहां पुस्तकालय और ई-मित्र जैसी सुविधाएं होंगी।

2027 तक राजस्थान के किसानों को दिन में बिजली उपलब्ध कराई जाएगी।

4 लाख सरकारी और 6 लाख निजी नौकरियों का सृजन किया जाएगा।

सरपंचों की भूमिका पर सीएम का जोर

सीएम भजनलाल शर्मा ने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था का आधार सरपंच हैं और वे ग्रामीण विकास में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने सरपंचों से आह्वान किया कि वे अपने अधिकारों को समझें और अपने गांवों के विकास में पूरी निष्ठा से योगदान दें।

सरकार द्वारा सरपंचों की मांगों पर सकारात्मक रुख दिखाने के बाद अब उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही मानदेय बढ़ाने सहित अन्य मांगों पर ठोस निर्णय लिया जाएगा।

 

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