नरेश गुनानी
टेलीग्राफ टाइम्स
4 फरवरी
जयपुर: राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र में पेश किया गया धर्मांतरण विरोधी विधेयक (Anti Conversion Law Rajasthan) मार्च महीने में पारित हो सकता है। मंगलवार को भीलवाड़ा दौरे के दौरान उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी (Diya Kumari) ने इस संबंध में संकेत दिए। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि यह विधेयक आवश्यक था और सत्र के अंतिम सप्ताह में इसके पारित होने की संभावना है। उन्होंने यह भी कहा कि जनता ने बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी पर भरोसा जताया है, और उनकी गारंटी पूरी होगी।
सोमवार को हुआ था विधेयक का प्रस्तुतिकरण
भजनलाल शर्मा सरकार की ओर से यह विधेयक विधानसभा के बजट सत्र में स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने सोमवार को प्रस्तुत किया था। इस विधेयक में धर्मांतरण के खिलाफ कड़े प्रावधान जोड़े गए हैं, और इसमें ‘लव जिहाद’ को भी परिभाषित किया गया है। विधेयक के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी को जबरन, लालच देकर, धोखाधड़ी से या विवाह के माध्यम से धर्म परिवर्तन करवाता है, तो उसे दंडित किया जाएगा। विशेष रूप से, ‘लव जिहाद’ के मामलों को गंभीर अपराध माना गया है।
कड़े दंड और जुर्माने का प्रावधान
इस विधेयक के तहत, गलत जानकारी देकर, जबरदस्ती, लालच देकर या किसी कपटपूर्ण तरीके से धर्म परिवर्तन करवाना गैर-जमानती अपराध होगा। इसके लिए अधिकतम 10 साल की सजा और 50,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
सामान्य मामलों में न्यूनतम 1 साल की सजा और 15,000 रुपये का जुर्माना, जिसे 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है।
यदि पीड़ित नाबालिग, महिला, अनुसूचित जाति (SC) या अनुसूचित जनजाति (ST) से संबंधित है, तो आरोपी को कम से कम 2 साल की सजा और 25,000 रुपये का जुर्माना होगा, जिसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है।
राज्य सरकार का कहना है कि यह विधेयक धार्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक समरसता की रक्षा के लिए जरूरी है। हालांकि, इस पर राजनीतिक और सामाजिक बहस तेज हो गई है।