मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में फिर से बाघों की वापसी की तैयारी, विस्थापन न होने से बढ़ी चिंताएं
Written By: संजय सिंह
Edited By: सुनील शर्मा
मार्च 17, 2025 19:52 IST
टेलीग्राफ टाइम्स
राजस्थान के झालावाड़ जिले में स्थित मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में एक बार फिर बाघों को बसाने की कवायद शुरू हो गई है। प्रशासन का कहना है कि अप्रैल माह तक यहां बाघों का एक जोड़ा छोड़ दिया जाएगा। जिला कलेक्टर अजय सिंह राठौड़ ने बताया कि गागरोन रेंज में इस महीने टाइगर का जोड़ा लाने की पूरी तैयारी है।
बाघों की नस्ल संकरण पर ध्यान
अब तक रणथंभौर से बाघ लाए जाते थे, लेकिन इस बार क्रॉस ब्रीडिंग को ध्यान में रखते हुए मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ या महाराष्ट्र से बाघों को लाने की योजना है। इसका उद्देश्य बाघों की नस्ल में विविधता लाना और जनसंख्या को बढ़ावा देना है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी यहां बाघिन एमटी-4 की टेरिटरी रही थी, लेकिन उसकी मौत के बाद रिजर्व में कोई बाघ नहीं बचा था।
एंटी-पोचिंग कैंप और निगरानी तंत्र मजबूत
पिछली घटनाओं से सबक लेते हुए इस बार वन्यजीव विभाग अधिक सतर्क है। चेक पोस्ट और एंटी-पोचिंग कैंप की स्थापना की जा रही है। इन कैंपों के प्रस्ताव स्वीकृति के लिए भेजे जा चुके हैं। ग्रामीणों का कहना है कि मशालपुरा और लक्ष्मीपुरा के तालाबों में पानी की प्रचुरता और कालीसिंध तथा आहू नदियों की निकटता के कारण यहां अक्सर बाघिन एमटी-4 देखी जाती थी।
कोर एरिया में विस्थापन अधूरा, बाघों की सुरक्षा पर सवाल
2012 में घोषित मुकुंदरा टाइगर रिजर्व के कोर एरिया का पुनर्वास कार्य अब तक अधूरा है। नारायणपुरा गांव में आबादी तो नहीं है, लेकिन कृषि भूमि के कारण लोगों का आवागमन बना रहता है। मशालपुरा गांव में लगभग एक दर्जन परिवारों का विस्थापन मुआवजे की विसंगतियों के चलते नहीं हो सका है। ऐसे में बाघों की सुरक्षा और मानवीय संघर्ष की संभावनाएं बनी हुई हैं।
बफर जोन के गांव भी समस्याओं के घेरे में
रिजर्व के बफर जोन में आने वाले लक्ष्मीपुरा, हरिपुरा, बोर का कुंआ, गोलभाव और डंडिया जैसे गांवों का विस्थापन परियोजना के दूसरे चरण में प्रस्तावित है। हालांकि, इन गांवों में पिछले पांच वर्षों से विकास कार्य ठप पड़े हैं। सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है और बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है। जल जीवन मिशन के तहत पाइपलाइन बिछाने का काम शुरू हुआ था, लेकिन टंकी निर्माण कार्य रुकने से ग्रामीणों की उम्मीदें टूट गई हैं।
इंसान और बाघ के बीच संघर्ष की आशंका
मुकुंदरा में पहले भी बाघ छोड़े गए थे, लेकिन उचित देखभाल और सुरक्षा के अभाव में एक-एक कर सभी की मौत हो गई। अब फिर से बाघों को लाने की तैयारी की जा रही है, जबकि कोर एरिया का विस्थापन अभी तक नहीं हो पाया है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या बाघ इस क्षेत्र में टिक पाएंगे या मानव बस्ती के दबाव में फिर से संघर्ष का शिकार होंगे।