महाकुंभ में माघ पूर्णिमा का महत्व: देव स्नान, तिल दान और पुण्य उपवास

गणेश शर्मा
हिंदू धर्म में माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व है, और जब यह पावन तिथि महाकुंभ के दौरान आती है, तो इसकी महिमा और भी बढ़ जाती है। यह दिन स्नान, दान और उपवास के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन संगम में स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए जानें, महाकुंभ में माघ पूर्णिमा के आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व के बारे में।

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1. माघ पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

माघ मास को शास्त्रों में पुण्यदायी मास कहा गया है। इस मास में गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम में स्नान करने से आत्मा शुद्ध होती है और जीवन में शुभता आती है। मान्यता है कि इस दिन देवता स्वयं संगम में स्नान करने आते हैं, इसलिए इसे “देव स्नान” भी कहा जाता है। इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार धारण किया था, जिससे यह दिन और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।

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2. महाकुंभ में माघ पूर्णिमा का स्नान

महाकुंभ में स्नान का विशेष महत्व होता है, और माघ पूर्णिमा स्नान पर्वों में से एक है। इस दिन स्नान करने से:

✅ पूर्व जन्म के पापों का नाश होता है।
✅ आरोग्य, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है।
✅ मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।

संगम तट पर लाखों श्रद्धालु इस दिन पुण्य लाभ प्राप्त करने के लिए एकत्रित होते हैं। यह नजारा अद्भुत और अलौकिक होता है।

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3. तिल दान का महत्व

माघ पूर्णिमा पर तिल का दान अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन तिल, गुड़, वस्त्र, अन्न और स्वर्ण दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। तिल से जुड़ी धार्मिक मान्यता यह है कि यह पितरों की तृप्ति और आत्मा की शुद्धि का प्रतीक है। इस दिन किए गए दान का फल कई गुना अधिक प्राप्त होता है।

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4. एक दिन के उपवास का महत्व

माघ पूर्णिमा का व्रत करने से मानसिक और शारीरिक शुद्धि होती है। इस दिन उपवास रखने से:

✔ मन शांत रहता है और नकारात्मकता दूर होती है।
✔ ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।
✔ धर्म और अध्यात्म का मार्ग प्रशस्त होता है।

जो लोग उपवास नहीं रख सकते, वे फलाहार कर सकते हैं और भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं।

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5. आध्यात्मिक दृष्टि से माघ पूर्णिमा

ऋषि-मुनियों के अनुसार, माघ मास में ब्रह्म मुहूर्त में संगम स्नान करने से सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और आत्मा दिव्य प्रकाश से भर जाती है। महाकुंभ में इस दिन की महिमा और अधिक बढ़ जाती है, क्योंकि यहां संतों, तपस्वियों और आध्यात्मिक गुरुओं का संगम होता है।

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