Written By: dhanjay tyagi
Edited By : Naresh Gunani
मार्च 12, 2025 12:35 IST
टेलीग्राफ टाइम्स
मजीद फिदायीन ब्रिगेड: पाकिस्तानी सेना की नींद हराम करने वाला बलूच दस्ता
बलूचिस्तान में स्वतंत्रता की मांग और पाकिस्तानी सेना के खिलाफ संघर्ष के बीच एक नाम ऐसा है जिसने इस्लामाबाद की नींद उड़ा दी है – मजीद फिदायीन ब्रिगेड। यह ब्रिगेड बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) का आत्मघाती दस्ता है, जो आत्मसमर्पण के बजाय बलिदान को प्राथमिकता देता है।
मजीद फिदायीन ब्रिगेड का उदय
मजीद फिदायीन ब्रिगेड का नाम दो भाइयों – मजीद सीनियर और मजीद जूनियर – के बलिदान से प्रेरित है। दोनों भाई बलूच राष्ट्रवाद की आग में तपे हुए थे और बलूचिस्तान की स्वतंत्रता के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी।

मजीद सीनियर का बलिदान
2 अगस्त 1974 को क्वेटा में एक जलसे के दौरान पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो को निशाना बनाने की कोशिश में मजीद सीनियर ने अपनी जान गंवाई। भुट्टो ने बलूचिस्तान में नेशनल आवामी पार्टी की सरकार को बर्खास्त कर दिया था, जिससे बलूच आंदोलन में गहरी नाराजगी थी। मजीद सीनियर के बलिदान ने बलूच विद्रोहियों में नई ऊर्जा भर दी।
मजीद जूनियर की कहानी
1976 में मजीद सीनियर की मौत के दो साल बाद उसी घर में एक और बेटे का जन्म हुआ – मजीद जूनियर। बड़े भाई की तरह ही मजीद जूनियर ने भी बलूचिस्तान के स्वतंत्रता संघर्ष में अपना जीवन समर्पित कर दिया।
17 मार्च 2010 को क्वेटा के वाहदत कॉलोनी में पाकिस्तानी सेना ने एक मकान को घेर लिया। मजीद जूनियर ने अपने साथियों को सुरक्षित निकलने का मौका देने के लिए खुद को कुर्बान कर दिया।
मजीद फिदायीन ब्रिगेड का गठन
2011 में बलूच नेता असलम बलोच ने इस दस्ते का गठन किया और इसका नाम मजीद फिदायीन ब्रिगेड रखा। यह दस्ता मुख्य रूप से पाकिस्तानी सैन्य और व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर आत्मघाती हमले करने के लिए जाना जाता है।
प्रमुख हमले और ऑपरेशन
1. 2011: पूर्व मंत्री नसीर मंगल की हत्या – पहला हमला IED से किया गया, जिसमें 13 लोग मारे गए।
2. 2018: कराची में चीनी दूतावास पर हमला – चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के खिलाफ यह आत्मघाती हमला था।
3. 2019: ग्वादर के पर्ल कॉन्टिनेंटल होटल पर हमला – इस हमले में 5 लोग मारे गए।
4. 2022: कराची यूनिवर्सिटी में कन्फ्यूशियस इंस्टिट्यूट पर आत्मघाती हमला – जिसमें कई चीनी नागरिक मारे गए।
BLA के अन्य दस्ते: फतह स्क्वैड और जीरब यूनिट
फतह स्क्वैड
यह दस्ता गुरिल्ला युद्ध में माहिर है और बलूचिस्तान के पहाड़ी इलाकों में सक्रिय है।
2024 के ऑपरेशन हेरोफ़ में इस दस्ते ने पाकिस्तानी सैन्य काफिलों पर हमले किए और 62 सैनिकों को मार गिराया।
जीरब यूनिट (Zephyr Intelligence Research & Analysis Bureau – ZIRAB)
यह यूनिट खुफिया जानकारी जुटाने और पाकिस्तानी सैन्य योजनाओं को विफल करने में माहिर है।
इसका काम उच्च-मूल्य वाले टारगेट पर हमला करना और सैन्य ठिकानों में घुसपैठ करना है।
फंडिंग और हथियार
मजीद फिदायीन ब्रिगेड की फंडिंग विदेशों में बसे बलूच प्रवासियों से होती है, जो हवाला नेटवर्क का उपयोग करते हैं।
आधुनिक हथियारों में IED, RPG, BM-12 रॉकेट, M4 राइफलें और C4 विस्फोटक शामिल हैं।
पाकिस्तानी सेना के लिए सबसे बड़ा खतरा
मजीद फिदायीन ब्रिगेड, फतह स्क्वैड और जीरब यूनिट के गठजोड़ ने पाकिस्तान के सुरक्षा प्रतिष्ठानों के लिए सबसे बड़ा खतरा पैदा कर दिया है। इन दस्तों की रणनीतिक तैयारी और आत्मघाती हमलों की क्षमता ने बलूच आंदोलन को एक नया आयाम दिया है।