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Sunil Sharma
-महाकुम्भ मेले में ब्रह्माकुमारी स्वर्णिम भारत ज्ञान कुम्भ में विशाल कार्यक्रम असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य रहेंगे मुख्य अतिथि
महाकुम्भ नगर:विश्व में नारी शक्ति का सबसे बड़ा और विशाल संगठन की नींव रखने वाले ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के संस्थापक ब्रह्मा बाबा की 56वीं पुण्य तिथि 18 जनवरी को मनाई जाएगी। इस मौके पर विशेष ब्रह्माकुमारीज द्वारा महाकुम्भ में लगे सेक्टर 7 स्थित स्वर्णिम भारत ज्ञान कुंभ में विश्व शांति दिवस मनाया जाएगा। जिसमें असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे।
140 देशों में पांच हजार सेवा केंद्र संचालित
संस्थान के इस समय विश्व के 140 देशों में पांच हजार से अधिक सेवाकेंद्र संचालित हैं। साथ ही 46 हजार ब्रह्माकुमारी बहनें समर्पित रूप से तन-मन-धन के साथ अपनी सेवाएं दे रही हैं। 20 लाख से अधिक लोग इसके नियमित विद्यार्थी हैं जो संस्थान के नियमित सत्संग मुरली क्लास को अटेंड करते हैं। साथ ही दो लाख से अधिक ऐसे युवा जुड़े हुए हैं जो बालब्रह्मचारी रहकर संस्थान से जुड़कर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
बाबा ने अपनी जमीन जायजाद बेचकर बनाया था ट्रस्ट
संस्थान की क्षेत्रीय संचालिका मनोरमा दीदी ने जानकारी देते हुए बताया कि नारी अबला नहीं सबला है, वह तो शक्ति स्वरूपा है। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और नारी के उत्थान के संकल्प के साथ उसे समाज में खोया सम्मान दिलाने, भारत माता, वंदे मातरम् की गाथा को सही अर्थों में चरितार्थ करने वर्ष 1937 में उस जमाने के हीरे-जवाहरात के प्रसिद्ध व्यापारी दादा लेखराज कृपलानी ने परिवर्तन की नींव रखी। नारी उत्थान को लेकर उनका दृढ़ संकल्प ही था कि उन्होंने अपनी सारी जमीन- जायजाद बेचकर एक ट्रस्ट बनाया और उसमें संचालन की जिम्मेदारी नारियों को सौंप दी।
उन्होंने बताया कि लोगों में परिवारवाद का संदेश न जाए इसलिए बेटी तक को संचालन समिति में नहीं रखा। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के संस्थापक दादा लेखराज कृपलानी ने अपने जीवन में जो मिसाल पेश की उसे आज भी लाखों लोग अनुसरण करते हुए राजयोग के पथ पर आगे बढ़ते जा रहे हैं। संस्थान की मुख्य शिक्षा और नारा है-स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन और नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना।
60 वर्ष की उम्र में रखी बदलाव की नींव
15 दिसंबर 1876 में जन्मे ब्रह्मा बाबा बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि और ईमानदार थे। उन्हें परमात्म मिलन की इतनी लगन थी कि अपने जीवन काल में 12 गुरु बनाए थे। उन्होंने परमात्मा के निर्देशन अनुसार अपनी सारी चल-अचल सम्पत्ति को बेचकर माताओं-बहनों के नाम एक ट्रस्ट बनाया, उस समय संस्थान का नाम ओम मंडली था। वर्ष 1950 में संस्थान के माउंट आबू स्थानांतरण के बाद इसका नाम प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय पड़ा। इसकी प्रथम मुख्य प्रशासिका मातेश्वरी जगदम्बा सरस्वती को नियुक्त किया गया। दादा लेखराज की एक बेटी और दो बेटे थे।
दुनिया का एकमात्र और सबसे बड़ा संगठन
ब्रह्माकुमारी संस्थान नारी शक्ति द्वारा संचालित दुनिया का सबसे बड़ा और एकमात्र संगठन है। यहां मुख्य प्रशासिका से लेकर प्रमुख पदों पर महिलाएं ही हैं। नारी सशक्तिकरण का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है कि यहां के भोजनालय में भाई भोजन बनाते हैं और बहनें बैठकर भोजन करती हैं। संगठन की सारी जिम्मेदारियों को बहनें संभालती हैं और भाई उनके सहयोगी के रूप में साथ निभाते हैं। हाल ही में एक कार्यक्रम में पहुंचीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भी इस संगठन की सफलता और विशालता को देखते हुए कहा था कि यहां नारी शक्ति ने यह साबित कर दिखाया है कि यदि नारी को मौका मिले तो वह पुरुषों से बेहतर कार्य कर सकती है।