नंद गांव की होली: रंग, भक्ति और उल्लास का अनोखा संगम

नंद गांव की होली: रंग, भक्ति और उल्लास का अनोखा संगम

Written By: भावेश जांगिड़
Edited By: गौरव कोचर
मार्च 13, 2025 16:44 IST
टेलीग्राफ टाइम्स

भारत में होली का पर्व प्रेम, उमंग और आनंद का प्रतीक है। इसे देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन यदि होली के असली रंग, भक्ति और परंपरा का अनुभव करना हो, तो मथुरा जिले के नंद गांव का रुख करना चाहिए। नंद गांव की होली केवल रंगों का उत्सव नहीं है, बल्कि यह भगवान कृष्ण और राधा रानी के प्रेम, भक्ति और उमंग का पर्व है। यहाँ की होली का सबसे बड़ा आकर्षण है लठमार होली, जो भगवान कृष्ण और राधा की प्रेम लीलाओं को जीवंत कर देती है।


नंद बाबा मंदिर: श्रद्धा और भक्ति का केंद्र

Image by bhavesh Jangid

नंद गांव का प्रमुख आकर्षण है नंद बाबा का मंदिर, जो भगवान कृष्ण के पालनकर्ता पिता नंद बाबा को समर्पित है।

  • यह मंदिर नंद गांव के केंद्र में स्थित है और यहाँ की होली का मुख्य आयोजन यहीं से शुरू होता है।
  • मंदिर का आंगन ही वह स्थान है जहाँ से लठमार होली की शुरुआत होती है।
  • होली के दिन इस मंदिर को रंग-बिरंगे फूलों, बंदनवारों और रंगोली से सजाया जाता है।
  • भक्तजन मंदिर में एकत्र होकर भगवान कृष्ण और नंद बाबा की पूजा-अर्चना करते हैं।
  • मंदिर में कृष्ण लीलाओं से जुड़े अनेक चित्र और मूर्तियाँ भी स्थापित हैं, जो भक्तों को कृष्ण भक्ति में लीन कर देती हैं।
  • विशेष रूप से भजन-कीर्तन और रासलीला का आयोजन इसी मंदिर प्रांगण में होता है, जहाँ श्रद्धालु ढोलक, मंजीरा और बांसुरी की मधुर ध्वनि के बीच नाचते-गाते हैं।

नंद गांव की होली की विशेषताएं:

1. लठमार होली: परंपरा और उत्साह का अनोखा संगम

नंद गांव की होली का सबसे बड़ा आकर्षण है लठमार होली

  • इस होली में बरसाना की महिलाएं नंद गांव के पुरुषों पर लाठियों से प्रहार करती हैं।
  • पुरुष हाथों में ढाल लेकर अपनी रक्षा करते हैं।
  • यह परंपरा भगवान कृष्ण और राधा रानी की बाल लीलाओं से जुड़ी हुई है।
  • मान्यता है कि कृष्ण अपने सखाओं के साथ राधा और उनकी सखियों को चिढ़ाने बरसाना जाते थे, तो बदले में महिलाएं उन पर लाठियों से प्रहार करती थीं।
  • इस लीला का आनंद लेने के लिए नंद बाबा मंदिर के प्रांगण में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

2. गुलाल और रंगों की बौछार:

Image by bhavesh Jangid

लठमार होली के बाद पूरे गांव में गुलाल और रंगों की बौछार होती है।

  • नंद बाबा मंदिर से लेकर गांव की हर गली में लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं।
  • मंदिर प्रांगण में भगवान कृष्ण के जयकारे गूंजते रहते हैं।
  • श्रद्धालु एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं।
  • रंगों में सराबोर भक्त भगवान कृष्ण की लीलाओं का आनंद लेते हुए नाचते-गाते हैं।

3. भजन, कीर्तन और रासलीला:

नंद बाबा मंदिर में होली के अवसर पर भजन-कीर्तन और रासलीला का विशेष आयोजन होता है।

  • कलाकार राधा-कृष्ण की बाल लीलाओं का मंचन करते हैं।
  • कृष्ण भक्ति के गीत, जैसे “रंग बरसे भीगे चुनर वाली” और “होली खेले नंदलाल” गाए जाते हैं।
  • नंद बाबा के आंगन में भक्त झूमते और नाचते हुए भगवान के प्रेम में डूब जाते हैं।

4. पकवान और प्रसाद का आनंद:

होली के इस उत्सव में केवल रंग और भक्ति ही नहीं, बल्कि स्वादिष्ट पकवानों का भी विशेष महत्व है।

  • गुजिया, पापड़ी, दही बड़ा, मठरी और ठंडाई विशेष रूप से तैयार किए जाते हैं।
  • ठंडाई में भांग मिलाकर भी पी जाती है, जो इस पर्व की पारंपरिक पहचान है।
  • नंद बाबा मंदिर में प्रसाद का वितरण होता है और लोग इसे श्रद्धा से ग्रहण करते हैं।

नंद गांव की होली का सांस्कृतिक महत्व:

नंद गांव की होली केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। यहां की होली में कृष्ण-भक्ति और राधा प्रेम का अद्भुत मेल देखने को मिलता है। यह होली केवल एक आनंद का अवसर नहीं, बल्कि भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं को जीवंत करने का पर्व है।


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