नरेश गुनानी
टेलीग्राफ टाइम्स
4 फरवरी
झालावाड़: झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के यूरोलॉजी विभाग के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने दुर्लभ जन्मजात बीमारी एपिस्पेडियाज से पीड़ित एक बच्चे की सफल सर्जरी कर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यह बीमारी 1.17 लाख बच्चों में से केवल एक को होती है, जिससे पीड़ित व्यक्ति को कई गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। झालावाड़ में अपनी तरह की यह पहली जटिल सर्जरी थी, जिसमें पेशाब के प्रवाह को सही दिशा में लाने के लिए नया रास्ता बनाया गया।
कैसे हुआ बच्चे का इलाज?
झालावाड़ जिले के जामुनिया निवासी बालक मयंक कुमार को जन्म से ही पेशाब से जुड़ी गंभीर समस्या थी। परिजन उसे झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के यूरोलॉजी विभाग में डॉ. विशाल नैनीवाल के पास लेकर पहुंचे। सभी आवश्यक जांचों के बाद एपिस्पेडियाज की पुष्टि हुई। इसके बाद यूरोलॉजी और एनेस्थीसिया विभाग के विशेषज्ञों ने सर्जरी की योजना बनाई।
सर्जरी में क्या किया गया?
पेशाब की नली और मूत्र थैली का पुनर्निर्माण किया गया।
लिंग की संरचना में मौजूद असामान्य नलियों को उनकी सही स्थिति में लाया गया।
लिंग का आकार सामान्य करने के लिए आवश्यक सुधार किए गए।
करीब 5 से 6 घंटे तक चली इस जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा किया गया।
क्या होती है एपिस्पेडियाज बीमारी?
एपिस्पेडियाज एक दुर्लभ जन्मजात विकृति है, जिसमें बच्चे के मूत्रमार्ग (पेशाब का रास्ता) का छिद्र सही स्थान पर नहीं होता। इसके कारण –
पेशाब सही तरीके से नहीं निकलता और कभी-कभी पेट या अन्य हिस्सों में चला जाता है।
मूत्र मार्ग में संक्रमण की आशंका बनी रहती है।
पेशाब के रिसाव के कारण बच्चे को महसूस नहीं होता कि वह कब पेशाब कर रहा है।
लिंग का आकार असामान्य और छोटा हो जाता है।
लिंग की ऊपरी हड्डी में सामान्य से अधिक अंतर होता है।
सफल ऑपरेशन से नया जीवन
इस जटिल सर्जरी को सफल बनाने में यूरोलॉजी विभाग के डॉ. विशाल नैनीवाल, डॉ. चमन नागर, डॉ. आनंद ऋषि और एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. राजन नंदा की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
परिजनों ने डॉक्टरों और मेडिकल टीम का आभार जताते हुए कहा कि अब उनके बच्चे का भविष्य उज्ज्वल होगा। इस सफल सर्जरी के बाद झालावाड़ मेडिकल कॉलेज ने दुर्लभ बीमारियों के इलाज में एक नया आयाम स्थापित किया है।