जयपुर में बुलडोजर कार्रवाई पर गरजे प्रताप सिंह खाचरियावास, बोले- बिना मुआवजा और पुनर्वास तोड़फोड़ तानाशाही
Edited By : लोकेंद्र सिंह शेखावत
अप्रैल 08, 2025
टेलीग्राफ टाइम्स
जयपुर में जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) द्वारा चलाए जा रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान ने राजनीतिक रंग ले लिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने बुधवार को इस कार्रवाई पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने खातीपुरा क्षेत्र में दुकानों और मकानों पर बुलडोजर चलाने को “तानाशाही” करार दिया और कहा कि बिना मुआवजा और पुनर्वास के यह कार्रवाई पूरी तरह गैरकानूनी है।
खाचरियावास ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, “पिछले छह महीने से भाजपा के नेता और मंत्री जनता को झूठा दिलासा देते रहे। दुकानदारों ने भरोसा किया, लेकिन अब उनके रोजगार का कत्ल किया जा रहा है। रोटी छिनी जा रही है।”
उन्होंने याद दिलाया कि वर्षों पहले उन्होंने खुद ‘ऑपरेशन पिंक’ के दौरान इन्हीं दुकानों को बचाने के लिए संघर्ष किया था और अब वही दुकानें सरकार के निशाने पर हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सरकार कांग्रेस के बनाए कानूनों की अनदेखी कर रही है, जिनमें स्पष्ट प्रावधान है कि किसी भी तोड़फोड़ से पहले पुनर्वास और मुआवजा देना अनिवार्य है।
यह कार्रवाई जयपुर के झारखंड महादेव मोड़ से 200 फीट बाईपास तक चल रही है। इसका उद्देश्य सड़क को 160 फीट चौड़ा करना है, जिससे ट्रैफिक की समस्या का समाधान हो सके। JDA का कहना है कि यह कार्रवाई राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के तहत की जा रही है और प्रभावितों को छह महीने पहले ही नोटिस दिए जा चुके थे।
हालांकि, भाजपा विधायक गोपाल शर्मा ने भी इस कार्रवाई का विरोध किया है। उन्होंने स्पष्ट कहा, “हाईकोर्ट ने कहीं भी यह नहीं कहा कि सभी लोग अतिक्रमणकारी हैं। अपनी मर्जी से रोड चौड़ी करना कोर्ट की मंशा नहीं हो सकती।”
इस बीच, एक रिटायर्ड डीजी नवदीप सिंह का मकान भी इस कार्रवाई की चपेट में आ गया, और विरोध करने पर उन्हें हिरासत में लिया गया। इसके बाद स्थानीय राजनीति और गर्मा गई है।
JDA ने बताया कि सिरसी रोड पर ढाई किलोमीटर क्षेत्र में पांच टीमों की निगरानी में यह कार्रवाई हो रही है और इसे आज ही पूरा कर लिया जाएगा। कार्रवाई के दौरान भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
जयपुर की सड़कों को चौड़ा करने की ये कवायद जहां प्रशासनिक नजरिए से ज़रूरी बताई जा रही है, वहीं इसके सामाजिक और राजनीतिक असर भी अब साफ तौर पर दिखाई देने लगे हैं।