कुरकुट नदी तट पर पंचमुखी हनुमान मंदिर में हनुमान जयंती पर विशेष पूजा-अर्चना और भंडारा, एक दशक पुरानी आस्था की परंपरा इस वर्ष भी जीवंत

कुरकुट नदी तट पर पंचमुखी हनुमान मंदिर में हनुमान जयंती पर विशेष पूजा-अर्चना और भंडारा, एक दशक पुरानी आस्था की परंपरा इस वर्ष भी जीवंत

Written By: गणपत चौहान,अप्रैल 11, 2025 13:13 IST
टेलीग्राफ टाइम्स
बरौद कालरी।
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त वीर हनुमान जी की जयंती के पावन अवसर पर इस वर्ष भी बरौद कालरी के समीप कुरकुट नदी के तट पर स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर में भव्य धार्मिक आयोजन की तैयारी पूरी कर ली गई है। यह आयोजन पिछले एक दशक से निरंतर श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जा रहा है, जो अब क्षेत्र की पहचान और आस्था का केंद्र बन चुका है।

शनिवार को हनुमान जयंती के अवसर पर मंदिर में प्रातः 10 बजे से प्रकांड विद्वान पंडितों के सानिध्य में विशेष हवन, पूजन और आरती का आयोजन होगा। इसके पश्चात 11 बजे से विशाल भंडारा-प्रसाद वितरण की शुरुआत की जाएगी। आयोजन में क्षेत्रवासियों के साथ दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालु भी भाग लेंगे।

आयोजन की तैयारी बड़े ही भव्य रूप में की गई है। मंदिर परिसर को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया है और हर ओर सुगंधित पुष्पों की सोंधी खुशबू वातावरण को और अधिक पवित्र बना रही है। गूंजते भजन और रामधुन से मंदिर का कोना-कोना भक्तिरस से सराबोर हो गया है। आयोजन की पूरी व्यवस्था में गेर सा के पवन बंसल प्रमुख सूत्रधार की भूमिका में हैं, जिन्होंने आयोजन की हर व्यवस्था को कुशलता से संभाला है।

कुरकुट नदी का पावन तट और पंचमुखी हनुमान मंदिर
बरघाट क्षेत्र से होकर बहने वाली कुरकुट नदी क्षेत्र की जीवन रेखा मानी जाती है और उसके तट पर स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का मजबूत केंद्र बन चुका है। मान्यता है कि यहां की गई पूजा-अर्चना से मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं। इसलिए हनुमान जयंती जैसे पावन अवसर पर दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आकर अपने भाव प्रकट करते हैं और भंडारे में भाग लेकर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं।

श्रद्धालुओं से भंडारा-प्रसाद में भाग लेने का आग्रह
समाजसेवी एवं मजदूर नेता गनपत चौहान ने कुडुमकेला, फगुरम, बरौद, बिजारी, रूमकेरा, पतरपाली एवं टेरम सहित आसपास के गांवों के श्रद्धालुओं, ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं एवं जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया है कि वे समय पर उपस्थित होकर भंडारा-प्रसाद ग्रहण करें और इस पुण्य अवसर का लाभ उठाएं। उन्होंने बताया कि यह आयोजन न केवल धार्मिक भावना से जुड़ा है, बल्कि सामाजिक एकता और भाईचारे को भी मजबूत करता है।

आस्था, उत्साह और परंपरा का संगम
हनुमान जयंती का यह आयोजन केवल एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन चुका है। श्रद्धालुओं में आयोजन को लेकर गहरी श्रद्धा और उत्साह देखा जा रहा है। स्थानीय युवाओं से लेकर वरिष्ठ जनों तक सभी इस भव्य अनुष्ठान में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करने में जुटे हुए हैं।पंचमुखी हनुमान मंदिर में होने वाला यह विशेष आयोजन न केवल हनुमान भक्तों के लिए एक पवित्र अवसर है, बल्कि क्षेत्र की समृद्ध धार्मिक विरासत और सामाजिक समरसता का सजीव उदाहरण भी है।

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