‘कुणाल कामरा मोमेंट’ और सहनशीलता की परीक्षा: उद्धव ठाकरे और शरद पवार का दोहरा मापदंड?

‘कुणाल कामरा मोमेंट’ और सहनशीलता की परीक्षा: उद्धव ठाकरे और शरद पवार का दोहरा मापदंड?

Written By: प्राची चतुर्वेदी
Edited By : नरेश गुनानी
मार्च 25, 2025 13:02 IST
टेलीग्राफ टाइम्स

महाराष्ट्र में अभिव्यक्ति की आज़ादी को लेकर हाल ही में चर्चाओं का दौर गर्म है। स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा की हालिया प्रस्तुति ने सत्ताधारी दल को नाराज़ कर दिया, लेकिन विपक्ष ने इसे “अभिव्यक्ति की आज़ादी” करार दिया। उद्धव ठाकरे ने कामरा का समर्थन करते हुए कहा कि “जो गद्दार है, वो गद्दार है।”

हालांकि, जब 2020-22 में महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार थी, तब कई ऐसी घटनाएं हुईं जो बताती हैं कि उस समय सत्ता की आलोचना को किस तरह दबाया गया।


1. जब कंगना रनौत के बंगले पर चला था BMC का बुलडोजर

मामला:
2020 में सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद कंगना रनौत ने मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार की तीखी आलोचना की थी। उन्होंने मुंबई की तुलना “POK” से कर दी थी, जिसके बाद शिवसेना के नेताओं ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

सरकार की कार्रवाई:

  • संजय राउत ने कंगना पर महाराष्ट्र का अपमान करने का आरोप लगाया।
  • बीएमसी ने कंगना के बांद्रा स्थित ऑफिस पर बुलडोजर चलाया, इसे अवैध निर्माण बताकर तोड़ दिया गया।
  • कंगना ने इसे “बदले की कार्रवाई” करार दिया और कहा, “आज मेरा घर टूटा है, कल तेरा घमंड टूटेगा।
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस कार्रवाई को “दुर्भावनापूर्ण” बताते हुए BMC को फटकार लगाई और कंगना को मुआवजा देने का आदेश दिया।
  • आज मेरा घर टूटा है, कल तेरा घमंड टूटेगा

2. एक व्हाट्सएप फॉरवर्ड के लिए नेवी ऑफिसर पर हमला

मामला:
62 वर्षीय रिटायर्ड नेवी ऑफिसर मदन शर्मा ने व्हाट्सएप पर उद्धव ठाकरे, सोनिया गांधी और शरद पवार पर एक व्यंग्यात्मक कार्टून शेयर किया था।

सरकार की कार्रवाई:

  • शिवसेना कार्यकर्ताओं ने मदन शर्मा को उनके घर से घसीटकर बुरी तरह पीटा।
  • घटना CCTV में कैद हुई, जिससे भारी विरोध हुआ।
  • सार्वजनिक दबाव के बाद शिवसेना कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया, लेकिन तुरंत जमानत भी मिल गई।
  • मदन शर्मा ने राष्ट्रपति शासन की मांग की थी, और तब रक्षामंत्री ने इस हमले की निंदा की थी।

3. शरद पवार पर पोस्ट करने वाली अभिनेत्री को 40 दिन की जेल

मामला:
मराठी अभिनेत्री केतकी चितले ने मई 2022 में शरद पवार के खिलाफ एक व्यंग्यात्मक कविता फेसबुक पर साझा की थी।

सरकार की कार्रवाई:

  • इस पोस्ट को लेकर महाराष्ट्र के कई शहरों में 22 FIR दर्ज की गईं।
  • ठाणे पुलिस ने केतकी को गिरफ्तार कर लिया और 40 दिन जेल में रखा गया।
  • NCP कार्यकर्ताओं ने केतकी पर स्याही और अंडे फेंके।
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने बाद में कहा कि यह व्यक्तिगत आलोचना थी, न कि सांप्रदायिक नफरत।

क्या सत्ता में रहते हुए उद्धव सरकार सहनशील थी?

अब और तब का फर्क:

  1. कुणाल कामरा मामले में उद्धव ठाकरे कह रहे हैं कि कॉमेडियन को बोलने की आज़ादी मिलनी चाहिए।
  2. लेकिन जब 2020-22 में उनकी सरकार थी, तब उन्होंने कंगना, केतकी और मदन शर्मा पर कठोर कार्रवाई की।

दोहरा मापदंड?

  • जब उद्धव ठाकरे और शरद पवार खुद विपक्ष में होते हैं, तो अभिव्यक्ति की आज़ादी का समर्थन करते हैं।
  • लेकिन जब सत्ता में थे, तब उन्होंने आलोचकों को जेल भेजा, उन पर हमले किए, और संपत्ति पर बुलडोजर चलाया।

महाराष्ट्र की राजनीति में सत्ता बदलने के साथ ही अभिव्यक्ति की आज़ादी की परिभाषा भी बदल जाती है। कुणाल कामरा की आलोचना को लेकर जिस तरह आज बीजेपी और शिवसेना (शिंदे गुट) हमलावर हैं, उसी तरह MVA सरकार के दौरान कंगना, केतकी और मदन शर्मा को निशाना बनाया गया था। सत्ता में रहते हुए जो सहनशीलता अपेक्षित होती है, वह अक्सर गायब हो जाती है।

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