टेलीग्राफ टाइम्स संवाददाता
6 फरवरी :घाटी से 1989-90 के दौरान कश्मीरी पंडितों के पलायन के बाद से उनकी वापसी एक संवेदनशील मुद्दा रहा है। हाल ही में, हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और प्रमुख धार्मिक नेता मीरवाइज उमर फारूक ने कश्मीरी पंडितों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए एक अंतर-समुदाय समिति (आईसीसी) के गठन का प्रस्ताव रखा है। इस समिति का उद्देश्य कश्मीरी पंडितों की मातृभूमि में सुरक्षित और सम्मानजनक वापसी को सुगम बनाना है।
मीरवाइज उमर फारूक ने कश्मीरी पंडितों की पीड़ा को एक मानवीय मुद्दा बताते हुए कहा है कि कश्मीर उनके बिना अधूरा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि युवा पीढ़ी को कश्मीर की मिश्रित संस्कृति से अवगत कराना आवश्यक है।
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आईसीसी के गठन का निर्णय 31 जनवरी, 2025 को नई दिल्ली में जेके पीस फोरम के कश्मीरी पंडितों के प्रतिनिधिमंडल और मीरवाइज के बीच हुई बैठक में लिया गया। इस समिति का नेतृत्व मीरवाइज उमर फारूक करेंगे और यह कश्मीर के सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व करेगी। समिति का मुख्य ध्यान कश्मीरी पंडितों की सुरक्षित वापसी, अल्पसंख्यक समुदायों की चिंताओं का समाधान, आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करना, कश्मीर की अनूठी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को संरक्षित करना, और युवा पेशेवरों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना होगा।
इस पहल की सफलता कई कारकों पर निर्भर करेगी, जैसे कि सभी संबंधित पक्षों का सहयोग, सुरक्षा की गारंटी, और सरकार की पुनर्वास नीतियों का प्रभावी कार्यान्वयन। मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व में आईसीसी का गठन एक सकारात्मक कदम है, लेकिन इसकी वास्तविक सफलता समय के साथ ही स्पष्ट होगी।
इस विषय पर मीरवाइज उमर फारूक का एक विशेष साक्षात्कार भी उपलब्ध है, जिसमें उन्होंने वक्फ बिल, कश्मीरी पंडितों की वापसी और कश्मीर की राजनीति पर अपने विचार साझा किए हैं।