आसाराम की अंतरिम जमानत पर विवाद: गुजरात हाई कोर्ट के जजों में मतभेद, अब फैसला चीफ जस्टिस करेंगे
Edited By : नरेश गुनानी
मार्च 28, 2025 16:00 IST
टेलीग्राफ टाइम्स
गांधीनगर: रेप के मामले में दोषी करार दिए गए स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम की अंतरिम जमानत को आगे बढ़ाने को लेकर गुजरात हाई कोर्ट के दो जजों की बेंच में असहमति देखी गई है। इस कारण यह मामला अब चीफ जस्टिस के पास पहुंच गया है, जो अंतिम निर्णय देंगे।
जमानत बढ़ाने पर बेंच में मतभेद
गुजरात हाई कोर्ट में आसाराम की ओर से 6 महीने की स्थायी जमानत की मांग की गई थी, जिस पर 25 मार्च को सुनवाई हुई और कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। 28 मार्च को जब जजों ने फैसला पढ़ा, तो दोनों जजों की राय अलग-अलग थी।
- पहले जस्टिस ने आसाराम की मेडिकल स्थिति को देखते हुए 3 महीने की जमानत बढ़ाने का सुझाव दिया।
- दूसरे जस्टिस इस राय से असहमत थे और उन्होंने जमानत बढ़ाने से इनकार किया।
इस असहमति के चलते मामला अब गुजरात हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (चीफ जस्टिस) के पास पहुंच गया है, जो अंतिम निर्णय देंगे।
अगर जमानत बढ़ी, तो राजस्थान हाई कोर्ट में भी करनी होगी याचिका दायर
गुजरात हाई कोर्ट में गांधीनगर दुष्कर्म केस को लेकर जमानत पर फैसला आना बाकी है। अगर यहां से जमानत बढ़ती है, तो आसाराम को राजस्थान हाई कोर्ट में भी इसी तरह की याचिका दायर करनी होगी। क्योंकि जोधपुर दुष्कर्म केस में उन्हें आजीवन कारावास की सजा मिल चुकी है।
मौलिक अधिकारों का दिया हवाला
आसाराम की ओर से कोर्ट में दलील दी गई कि
- 86 वर्ष की उम्र में इनवेसिव सर्जरी झेलना मुश्किल है।
- अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वास्थ्य की रक्षा का अधिकार हर नागरिक को प्राप्त है, भले ही वह दोषी हो।
- उन्होंने कोर्ट से अपील की कि अगर अच्छे इलाज से जीवन को सुरक्षित किया जा सकता है, तो यह एक न्यायसंगत मांग है।
क्या कहती हैं मेडिकल रिपोर्ट्स?
एम्स जोधपुर की रिपोर्ट के अनुसार,
- आसाराम को कोरोनरी आर्टरी डिजीज है, जिससे वह हाई-रिस्क श्रेणी में आते हैं।
- उन्हें नियमित मेडिकल मॉनिटरिंग, विशेष नर्सिंग देखभाल, एंडोक्रिनोलॉजिस्ट और नेफ्रोलॉजिस्ट से परामर्श की आवश्यकता है।
- उनकी वकील ने कोर्ट में जोर देकर कहा कि यह घातक स्थिति है और उनके स्वास्थ्य को देखते हुए जमानत बढ़ाने पर विचार किया जाना चाहिए।
अब क्या होगा आगे?
गुजरात हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस इस पर अंतिम फैसला देंगे। अगर उन्हें जमानत मिलती है, तो राजस्थान हाई कोर्ट में भी उनकी जमानत बढ़ाने के लिए याचिका दायर करनी होगी।
अब सबकी नजरें गुजरात हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के फैसले पर टिकी हैं।