आरएसएस का बयान: बीजेपी अध्यक्ष चुनाव में देरी और परिसीमन पर स्थिति स्पष्ट

आरएसएस का बयान: बीजेपी अध्यक्ष चुनाव में देरी और परिसीमन पर स्थिति स्पष्ट

Written By: प्राची चतुर्वेदी
Edited By : गणेश शर्मा
मार्च 22, 2025 15 :49 IST
टेलीग्राफ टाइम्स

बेंगलुरु में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था, अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (ABPS), की तीन दिवसीय बैठक शुक्रवार से बेंगलुरु में शुरू हुई। इस बैठक में आरएसएस के संयुक्त महासचिव अरुण कुमार ने विभिन्न राजनीतिक मुद्दों पर संवाददाताओं से बातचीत की।


बीजेपी अध्यक्ष के चुनाव में देरी पर सफाई

बैठक के दौरान जब पत्रकारों ने बीजेपी के नए अध्यक्ष के चुनाव में देरी को लेकर सवाल किया तो अरुण कुमार ने स्पष्ट किया कि यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। उन्होंने कहा,

“प्रक्रिया चल रही है। समय आने पर आपको पता चल जाएगा।”

यह पूछे जाने पर कि क्या बीजेपी और आरएसएस के बीच कोई विवाद है, अरुण कुमार ने इन अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि आरएसएस में कुल 32 संगठन हैं और हर संगठन स्वतंत्र रूप से कार्य करता है। बीजेपी और आरएसएस के बीच किसी भी तरह का टकराव नहीं है।

“हर संगठन की अपनी प्रक्रिया है। बीजेपी की भी प्रक्रिया चल रही है। समय आने पर अध्यक्ष का चुनाव हो जाएगा।”


परिसीमन पर आरएसएस का रुख

परिसीमन के मुद्दे पर अरुण कुमार ने कहा कि पहले परिसीमन एक्ट 1972 में आया था और उसके बाद 2002 में एक और एक्ट पारित हुआ। इसके बाद परिसीमन को स्थगित कर दिया गया था। उन्होंने विपक्ष द्वारा परिसीमन के विरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा,

“परिसीमन से पहले जनसंख्या गणना होती है और उसके बाद ही एक्ट आता है। अभी न तो कोई जनगणना हुई है और न ही कोई नया परिसीमन एक्ट आया है। फिर लोग इस मुद्दे को क्यों उछाल रहे हैं?”

अरुण कुमार ने विपक्षी दलों से अपील की कि वे इस मुद्दे पर अविश्वास का माहौल न बनाएं और समाज में सबको साथ लेकर चलने की बात करें। उन्होंने विपक्ष को आत्मनिरीक्षण करने की सलाह देते हुए कहा कि बिना आधार के इस मुद्दे को तूल देना सही नहीं है।


आरएसएस का रुख और विपक्ष के आरोप

आरएसएस के बयान के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि परिसीमन को लेकर फैलाई जा रही भ्रांतियां निराधार हैं। अरुण कुमार ने स्पष्ट किया कि जब तक कोई नया एक्ट नहीं आता या जनसंख्या गणना नहीं होती, तब तक परिसीमन का प्रश्न ही नहीं उठता।

विपक्षी दलों द्वारा किए जा रहे विरोध और सवालों पर आरएसएस ने सुझाव दिया कि अनावश्यक आशंका पैदा करने के बजाय समाज को एकजुट करने की दिशा में कार्य किया जाना चाहिए।


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