आज के समय में आत्मा को ज्ञान स्नान करने की जरूरत: उषा दीदी

नरेश गुनानी
टेलीग्राफ टाइम्स
05 फरवरी
-सर्वशक्तिमान परमात्मा सर्वगुणों और शक्तियों का स्रोत ‘स्वर्णिम भारत के निर्माण में आध्यात्मिकता का योगदान’ पर सम्मेलन

महाकुम्भ नगर:आत्मा और परमात्मा के ज्ञान अध्ययन से मनुष्य के जीवन में सच्ची सुख शांति का अनुभव होता है। प्रयागराज त्रिवेणी के संगम पर सभी ने स्नान के साथ-साथ आध्यात्मिक ज्ञान का स्नान भी किया और आज के समय में आत्मा को ज्ञान स्नान करने की ही जरूरत है। इसी से ही हमारे मन की मैल धुल सकेगी।

उक्त विचार ब्रह्माकुमारी संस्थान के मुख्यालय माउंटआबू से आई वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी राजयोगिनी उषा दीदी ने बुधवार को व्यक्त किया। वह प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के सेक्टर 7 स्थित स्वर्णिम भारत ज्ञान कुम्भ। मेले में आयोजित संत सम्मेलन में उपस्थित संतों के बीच कह रही थीं। उन्होंने कहा कि सर्वशक्तिमान परमात्मा सर्वगुणों और शक्तियों का स्रोत है। जब हम राजयोग का अभ्यास करते हैं तो अपने मन और बुद्धि को परमात्मा से जोड़ते हैं, जिससे परमात्मा के उन गुणों का स्वयं में अनुभव करते हैं और धीरे-धीरे हम गुणों और शक्तियों का प्रत्यक्ष स्वरूप बन जाते हैं।

संत सम्मेलन में अयोध्या से आए जगद्गुरु ओंकारानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्था दुनिया में सुख-शांति की स्थापना के लिए समर्पित है। संस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतन मोहिनी विश्व की और सारे समाज की अनमोल धरोहर हैं। आज के इस कलह क्लेश के समय सबके जीवन में शांति स्थापित करने का संकल्प इन ब्रह्माकुमारी बहनों ने लिया हुआ है, ऐसे धवल वस्त्र धारी ब्रह्माकुमारी बहनों को मैं दिल से नमन करता हूं।

आचार्य बृजेशानंद महाराज ने कहा कि अगर भारत में राम राज्य लाना चाहते हैं तो आध्यात्मिकता का मार्ग जीवन में अपनाना होगा। दिव्य शक्ति अखाड़ा के महंत गिरधारी महाराज ने कहा कि सारे विश्व में ब्रह्माकुमारी बहनों की सेवा फैली है और हमारा संत समाज भी इतना फैला हुआ है। लेकिन इन बहनों ने विश्व स्तर पर सनातन धर्म का जो प्रचार प्रसार किया है, उतना कोई नहीं कर सका है। इन्होंने सनातन धर्म का जागरण बहुत किया है। इस मौके पर कटनी मध्य प्रदेश से आए त्यागी महाराज ने कहा आप में दुनिया को बदलने का सामर्थ्य है, यदि आप यहां आए हैं तो निश्चित रूप से आपकी ऊर्जा अद्भुत है। महंत प्रेमानंद महाराज ने कहा कि परमात्मा शिव ने प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा जो एकात्मवाद का पाठ पढ़ाया, वह सारे धर्मों का मूल है और यही सनातन धर्म का बीज भी है। सर्व मांगल्य सनातन धर्म संस्थान के संस्थापक आचार्य योगी मनीष ने भी सभा को संबोधित किया।

मेले की संयोजिका और ब्रह्माकुमारीज के प्रयागराज जोन की संचालिका मनोरमा दीदी ने सभी संतों का स्वागत किया और कहा कि प्रयाग की भूमि पुण्य सलिला मां गंगा का तट अनंत काल से त्याग तपस्या की भूमि रहा है। ऐसे समय पर 144 साल बाद यह सुखद महाकुम्भ निश्चित तौर पर भारत में सनातन धर्म के पुनरोत्थान का एक महत्वपूर्ण कारक बनेगा।

लंदन से आई वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी गोपी दीदी ने राजयोग मेडिटेशन की कमेंट्री द्वारा सभी को शांति की अनुभूति कराई और गुजरात के वल्लभ विद्यानगर से आई राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी जागृति दीदी ने सफलतापूर्वक मंच का संचालन किया। सभी संतों ने मेले में लगी झांकी का अवलोकन किया और स्वर्णिम दुनिया को दर्शाती प्रदर्शनी एवं चैतन्य देवियों की झांकी का अवलोकन कर खुले हृदय से प्रशंसा की।

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