नरेश गुनानी
टेलीग्राफ टाइम्स
14 फरवरी
अलवर: राजस्थान के अलवर स्थित आरती बालिका गृह में 12 वर्षीय बच्ची की इलाज के अभाव में मौत के मामले में सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। राज्य सरकार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष और दो सदस्यों का कार्यकाल तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है।
क्या है पूरा मामला?
अरावली विहार थाना पुलिस को दो साल पहले यह बच्ची लावारिस हालत में मिली थी, जिसके बाद उसे आरती बालिका गृह भेज दिया गया था। बीते 31 जनवरी को उसकी तबीयत बिगड़ी और उसे अलवर के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां जांच में ब्रेन टीबी की पुष्टि हुई। इसके बाद उसे वेंटिलेटर पर रखा गया, लेकिन इलाज के अभाव में बच्ची ने मंगलवार को दम तोड़ दिया।
चार साल से अनुदान नहीं मिलने का आरोप
आरती बालिका गृह के संचालक चेतराम सैनी ने आरोप लगाया कि चार साल से अनुदान नहीं मिला, जिससे बाल गृह में वित्तीय संकट पैदा हो गया। उन्होंने कई बार बाल कल्याण विभाग के अधिकारियों से मदद मांगी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इलाज के अभाव में बच्ची की मौत हो गई, और उसका शव तीन दिन तक मोर्चरी में पड़ा रहा।
बाल कल्याण समिति के अधिकारी बर्खास्त
सरकार ने इस मामले में सख्त कदम उठाते हुए बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष राजेश शर्मा और दो सदस्य भूपेंद्र सैनी व सुरज्ञान सिंह का मनोयन तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है।
तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित
जिला कलेक्टर डॉ. आर्तिका शुक्ला ने घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई है।
सुनीता यादव (सहायक कलक्टर, अलवर) – अध्यक्ष
डॉ. कपिल भारद्वाज (जिला क्षय रोग अधिकारी) – सदस्य
रजनीश अरोड़ा (सहायक लेखाधिकारी, कलक्ट्रेट) – सदस्य
जांच कमेटी को इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट जल्द सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
मामले ने सरकार को किया मजबूर
मीडिया द्वारा इस मामले को प्रमुखता से उठाने के बाद प्रशासन हरकत में आया। अब सरकार पर बालिका गृहों की स्थिति सुधारने और जवाबदेही तय करने का दबाव बढ़ गया है।