गौरव कोचर
अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक संबंध पिछले कुछ दशकों में मजबूत रहे हैं, लेकिन हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच टैरिफ (शुल्क) युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। यह व्यापार युद्ध मुख्य रूप से 2018 में शुरू हुआ, जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आयातित कुछ उत्पादों पर भारी शुल्क लगा दिए। इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क बढ़ा दिए।
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टैरिफ युद्ध के प्रमुख कारण

1. व्यापार असंतुलन – अमेरिका लंबे समय से चीन के साथ व्यापार घाटे को लेकर चिंतित था। 2018 में, अमेरिका का चीन के साथ व्यापार घाटा लगभग 419 अरब डॉलर था।
2. बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights – IPR) – अमेरिका का आरोप है कि चीन अमेरिकी कंपनियों की तकनीक और बौद्धिक संपदा की चोरी करता है।
3. चीन की औद्योगिक नीतियां – अमेरिका ने चीन पर “Made in China 2025” नीति के तहत अपनी कंपनियों को अनुचित सरकारी सहायता देने का आरोप लगाया।
4. राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताएं – अमेरिका का मानना है कि चीनी कंपनियां, खासकर Huawei, अमेरिका की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं।
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मुख्य घटनाक्रम और टैरिफ दरें
1. 2018 – अमेरिका ने चीन से आयातित 34 अरब डॉलर के उत्पादों पर 25% टैरिफ लगाया, जिसमें मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल शामिल थे।
2. 2019 – अमेरिका ने अतिरिक्त 200 अरब डॉलर के चीनी सामान पर 10% से 25% तक शुल्क बढ़ाया।
3. 2020 – दोनों देशों के बीच “Phase One” ट्रेड डील पर सहमति बनी, जिससे कुछ शुल्कों में कटौती हुई।
4. 2021-2023 – अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव जारी रहा, लेकिन टैरिफ युद्ध की तीव्रता थोड़ी कम हुई।
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टैरिफ युद्ध का प्रभाव
1. अमेरिका पर प्रभाव
उपभोक्ताओं को महंगे उत्पाद खरीदने पड़े क्योंकि चीनी उत्पादों की कीमतें बढ़ गईं।
कई अमेरिकी कंपनियों को कच्चे माल पर अधिक खर्च करना पड़ा।
किसानों को नुकसान हुआ, क्योंकि चीन ने अमेरिकी कृषि उत्पादों (सोयाबीन, मक्का) पर टैरिफ बढ़ा दिया।
2. चीन पर प्रभाव
निर्यात में गिरावट आई, जिससे आर्थिक वृद्धि धीमी हुई।
अमेरिकी कंपनियों ने चीन में निवेश कम कर दिया।
चीन ने अपने बाजारों को अन्य देशों, जैसे यूरोप और भारत, की ओर मोड़ने की कोशिश की।
3. वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता बढ़ी।
सप्लाई चेन प्रभावित हुई, जिससे इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल सेक्टर में दिक्कतें आईं।
कई देशों को नए व्यापार समझौते करने पड़े।
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वर्तमान स्थिति (2024)
जो बाइडेन प्रशासन ने अब तक ट्रंप-युग की कई टैरिफ नीतियों को बरकरार रखा है।
अमेरिका और चीन के बीच तकनीकी प्रतिस्पर्धा तेज हो गई है, खासकर सेमीकंडक्टर्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में।
अमेरिका ने चीन पर दबाव बनाए रखने के लिए चिप निर्यात पर प्रतिबंध लगाए हैं।
चीन ने भी अमेरिका के खिलाफ कड़े व्यापारिक कदम उठाए हैं, जिसमें अमेरिकी कंपनियों पर नियमों को सख्त करना शामिल है।