अमिता नांगिया का दर्द: जब फिल्म के बोल्ड सीन के बाद फूट-फूटकर रो पड़ीं
भावेश जांगिड़ | टेलीग्राफ टाइम्स
बॉलीवुड इंडस्ट्री में कई बार कलाकारों को ऐसे सीन करने पड़ते हैं, जो उनके लिए मानसिक और भावनात्मक रूप से काफी चुनौतीपूर्ण होते हैं। ऐसा ही एक अनुभव अभिनेत्री अमिता नांगिया ने साझा किया, जब उन्होंने सालों बाद अपनी फिल्म प्रतिज्ञाबध के एक मुश्किल सीन के बारे में बात की।
क्या है पूरा मामला?
अमिता नांगिया, जिन्होंने पुरानी हवेली, कॉलेज गर्ल और सौगंध जैसी फिल्मों में काम किया है, ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपने करियर के एक दर्दनाक अनुभव को याद किया। उन्होंने बताया कि जब उन्हें फिल्म प्रतिज्ञाबध ऑफर हुई थी, तो उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि इसमें उन्हें इतना बोल्ड सीन करना पड़ेगा।

फिल्म के एक सीन में अनुपम खेर के किरदार द्वारा उन्हें जबरन कपड़े उतरवाने के लिए मजबूर किया जाता है। यह सीन कहानी के अनुसार था, लेकिन इसे करना उनके लिए बहुत कठिन था। उन्होंने बताया कि इस सीन को करने के बाद वह फूट-फूटकर रो पड़ी थीं।
“हर कोई मुझे समझा रहा था”
अमिता ने इंटरव्यू में कहा,
“सीन के दौरान मुझे बहुत बुरा लग रहा था, लेकिन डायरेक्टर और बाकी टीम समझा रही थी कि यह फिल्म की डिमांड है। उस समय ऐसे सीन करना बहुत मुश्किल था, लेकिन अब इंडस्ट्री में चीजें बदल गई हैं। उस समय स्कर्ट पहनना भी बड़ी बात थी, लेकिन अब सब नॉर्मल हो गया है।”
बीआर चोपड़ा की द्रौपदी बनने से किया था इनकार
अमिता ने यह भी बताया कि उन्हें पहले बीआर चोपड़ा के ऑफिस से महाभारत में द्रौपदी का किरदार ऑफर किया गया था, लेकिन उन्होंने इसे करने से इनकार कर दिया। इसके बाद ही उन्हें प्रतिज्ञाबध फिल्म का ऑफर मिला था।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा सीन
भले ही यह फिल्म पुरानी हो, लेकिन इस फिल्म का यह खास सीन आज भी सोशल मीडिया पर वायरल होता रहता है। अमिता ने बताया कि यह उनके करियर का सबसे कठिन अनुभव था, लेकिन उन्होंने इसे एक चुनौती की तरह लिया।
बॉलीवुड में बोल्ड सीन की बदलती सोच
अमिता ने यह भी कहा कि समय के साथ इंडस्ट्री में काफी बदलाव आया है। पहले जहां छोटे कपड़े पहनना भी बड़ी बात होती थी, अब फिल्मों में बोल्ड सीन आम हो गए हैं। हालांकि, उस समय उनके लिए यह अनुभव बेहद दर्दनाक था।
अमिता नांगिया का यह खुलासा बॉलीवुड के उस दौर की झलक देता है, जब अभिनेत्रियों के लिए बोल्ड सीन करना आसान नहीं होता था, और उन्हें भावनात्मक रूप से काफी संघर्ष करना पड़ता था।